BED Latest News: उत्तर प्रदेश में बैचलर आफ एजुकेशन यानी कि बीएड हेतु चर्चा काफी तेजी से शुरू हो गई है और दो वर्ष तक इसकी कम मांग हो रही थी। लेकिन खाली सीटों से जूझ रहे जितने भी बीएड कालेज है उनके लिए नयी आशाओं की किरण फिर से जाग चुकी है। सीटो की संख्या अब घट गई है। लेकिन उम्मीदवारों की संख्या है वह कई गुना बढ़ गया है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि पीजीटी यानी प्रवक्ता में B.ed को अनिवार्य किया गया है इसके अलावा शिक्षक नोटिफिकेशन की संभावनाएं भी इसका प्रमुख कारण बना हुआ है ।
पिछले दो शैक्षणिक सत्रों की बात किया जाए तो जितने भी बीएड महाविद्यालय हैं उनकी स्थिति बेहद ही कमजोर देखने को मिली है और 50% सीट भी खाली रह गया था और कॉलेज के संचालन में भी कठिनाइयां झेलना पड़ रहा था। कई कॉलेज तो ऐसे थे जिनको स्टाफ को सैलरी भी देना मुश्किल पड़ रहा था। अचानक बीएड की मांग में बड़ा उछाल देखने को मिला है। आवेदन कर्ता कि जो संख्या वह लाखों में इस बार पहुंची है। इस बात से आप पुष्टि देखने को मिल रही है कि इस बार संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा के अंतिम दिनों में जो आवेदन कर्ता की संख्या है वह लाखों में पहुंच चुका है यानी बीएड का फिर से बोलबाला हो रहा है।
B.Ed के सीट पर दावेदारों की संख्या में बढ़ोतरी
इस वर्ष जो B.Ed की सीट हैं लगभग 56000 का कटौती कर दिया गया है और अभ्यर्थियों की जो संख्या है वह 34000 से भी अधिक पहुंच चुका है। जबकि पिछले वर्ष जो यह आंकड़ा है वह दो लाख भी नहीं था। एनसीटीई यानी कि राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद ने राज्य के 560 बीएड कालेजो की जो मान्यता है वह पहले ही रद्द कर दिया गया था। व सैकड़ो अन्य कालेजो की मान्यता भी खतरे में पड़ा हुआ है यदि उनकी मान्यता भी समाप्त होता है तो दाखिला प्रक्रिया में बड़ी उलझन देखने को मिल सकता है।
B.Ed की दोबारा इसलिए बढ़ी मांग
तमाम प्रकार के विशेषज्ञों ने यह बताया है कि बीएड का इस बार मांग बढ़ने के पीछे कई प्रकार की वजह सामने निकलकर आ रही है जैसे कि कक्षा 6 से लेकर 12 तक के शिक्षक बनने हेतु B.ed को अनिवार्य किया गया है तो ऐसे में केवल टीजीटी हेतु अभी तक B.Ed जरूरी था। लेकिन आप पीजीटी के लिए भी बीएड को जरूरी कर दिया गया है इससे जो डिग्री के आधार पर इंटर कॉलेज में सीधे शिक्षक बनने की जो संभावना है वह खत्म हो गया था। ऐसे में जिन उम्मीदवारों ने परास्नातक कर लिया है वह अब बीएड की ओर अपना रूख अपना रहे हैं।
B.Ed कॉलेज संचालकों के लिए बढ़ गई उम्मीदें
जितने भी B.Ed कॉलेज है इनके संचालकों को अब इस वर्ष सीटों के बहार जाने की पूरी उम्मीद दिखाई दे रही हैं। अब बीएड कॉलेज अपने इस कॉलेज के शिक्षकों को सैलरी भी दे पाएंगे। उनका यह कहना है भले ही फीस कुछ कम यहां पर मिल रहा है लेकिन यदि सीट भर गई तो आर्थिक स्थिति थोड़ा कॉलेज की बेहतर हो जाएगी। पिछले दो वर्षों में दाखिले 40000 रुपए सालाना फीस पर ही हुए हैं और दूसरे वर्ष के लिए ₹30000 है इसके बावजूद भी कार्यों को स्टाफ को वेतन देने में काफी दिक्कत देखने को मिल रही हैं अब सीट भरने की उम्मीदें हैं तो ऐसे में जितने भी संचालक है वह छात्रों की स्वागत किया जाने की तैयारी में जुट चुके हैं।
यूपी के 560 B.Ed कॉलेज की मान्यता रद्द
एनसीटीई के माध्यम से उत्तर प्रदेश के 560 बीएड कॉलेज की मानता को रद्द कर दिया गया है। अब हजारों ऐसे कॉलेज है जिसकी मान्यता पर तलवार भी लटक रहा है। उत्तर क्षेत्रीय समिति की जो अगली बैठक है इसके बाद ही यह तय होगा कि कितने कॉलेज की अनुमति मिलेगी या फिर नहीं मिल पाएंगी। उसके बाद ही काउंसलिंग कार्यक्रम की जो घोषणा है वह किया जाएगा। यदि कॉलेज बंद होते हैं तो छात्रों को दाखिला लेने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
छात्रों की प्राथमिकता में हुआ सबसे बड़ा बदलाव
छात्रों की जो प्राथमिकता है उसमें काफी बड़ा बदलाव अब देखने को मिला है। पहले छात्र डीएलएड या फिर परास्नातक की तरफ अपना रूख किए हुए थे और बीएड की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे थे लेकिन अब छात्र B.ed को अंतिम विकल्प में पहले देख रहे थे। लेकिन अब इसको करियर की प्राथमिकता के रूप में यह सम्मिलित किया गया है। शिक्षकों में चयन केवल शैक्षणिक डिग्री के आधार पर ही नहीं बल्कि प्रशिक्षण आधारित योग्यता के आधार पर हो रहा है इससे शैक्षिक गुणवत्ता में भी सुधार की काफी संभावनाया जताया गया है।