UPPSC NEWS: आयोग के माध्यम से सभी नोटिफिकेशनों में धांधली को लेकर सीबीआई की जो जांच है अभी तो 6 वर्षों से लगातार जारी है और प्रगति धीमी व संदेह से भी घिरा हुआ है जैसे कि पीसीएस 2015 और एपीएस 2010 के विज्ञापनों में अनियमितता की वजह से मुकदमा दर्ज करते हुए सिपाही के द्वारा अब यूपीएससी से आवश्यक दस्तावेज वह लोक सेवकों से पूछताछ हेतु अनुभाग भी मांगा गया है। आयोग के माध्यम से सहयोग में हीलाहवाली दिखाया गया है और सरकार भी अब मौन रही हैं सीबीआई के द्वारा जब प्रदेश सरकार को यह पत्र भेजते हुए कहा गया कि अगर सहयोग नहीं मिला तो जांच हमारी तरफ से बंद भी किया जा सकता है तो तब आयोग के जो अधिकारी है और कर्मचारी है वह नोटिफिकेशन से जुड़े अभिलेख जुताने हेतु युद्ध स्तर पर काफी तेजी से काम भी शुरू कर दिए हैं।
सीबीआई को अभिलेख देने में यूपीपीएससी जुटा
लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई का अनुमानित पर आयोग का रूख भी अब यहां पर स्पष्ट है। सीबीआई को अप्रैल 2012 से लेकर मार्च 2017 तक जो हुई तकरीबन 600 पदों के लिए विज्ञापन की जांच करना है। जिसमें 40000 से अधिक पद यहां पर नियुक्तियां किया गया। यानी की जितनी भी विज्ञापन जारी हुए हैं सभी विज्ञापनों पर अब जांच होने वाली है। जिसमें प्रमुख पीसीएस लोअर सबोर्डिनेट और समीक्षा अधिकारी व सहायक समीक्षा अधिकारी जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाएं यहां पर सम्मिलित है। सीबीआई के द्वारा विशेष रूप से पीसीएस 2015 और एपीएस 2010 के नोटिफिकेशन में जो अनियमित की पुष्टि के बाद फिर दर्ज किया गया था। इसके अतिरिक्त अन्य नोटिफिकेशन की प्राथमिक जांच भी अब शुरू किया गया है।
आयोग पहुंचकर सीबीआई ने सील किया था अभिलेख
सीबीआई के द्वारा आयोग पहुंचते हुए कुछ अभिलेखों को सील भी किया गया था। हालांकि जो जांच प्रक्रिया है इसके दौरान कई अन्य अभिलेख भी मांगा गया था। जिसे आयोग ने या तो फिर दिया नहीं है या जो दिए हैं वह सीबीआई के लिए पर्याप्त बिल्कुल भी नहीं थे। भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 171 के तहत लोक सेवकों से पूछताछ किया गया और गिरफ्तारी हेतु अनुमति भी अनिवार्य है। लेकिन आयोग ने इसके संबंध में स्वीकृत नहीं दिया है। हालांकि आयोग का यह पक्ष है कि दस्तावेजों की जो संख्या अधिक होने की वजह से उन्हें तैयार करने में थोड़ा सा समय लग रहा है। प्रतियोगी संघर्ष समिति की जो अध्यक्ष अवनीश पांडे हैं इनके माध्यम से कहा गया जांच के पहले दिन से ही जो आयोग का आरोप है वह असहयोगात्मक पूरी तरह से रहा है।
कुल 5 वर्षों के 600 नोटिफिकेशन की होनी है जांच
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से वर्ष 2012 से लेकर 2017 तक के कुल 600 नोटिफिकेशन जारी किया गया था और 2018 में सीबीआई टीम जांच करने के लिए आयोग पहुंची थी। अब सीबीआई के माध्यम से इन नोटिफिकेशन हेतु प्रक्रिया में जो अनियमिताएं हुई हैं उसमें जांच हेतु काफी तेजी से पहल शुरू कर दिया गया है और सीबीआई की चेतावनी भरे पत्र के बाद अब लोकसेवा आयोग अभिलेख भी जुटाना शुरू कर दिया है। आपको बता दिया जाता है कि बहुत सी अनियमिताएं इन पूरे नोटिफिकेशन में देखने को मिली है जिसकी वजह से सीबीआई की जांच होना बेहद जरूरी है जो कि अब सीबीआई काफी बड़ी जांच इन सभी नोटिफिकेशन में करने वाला है और हो सकता है कुछ नोटिफिकेशन पर खतरा भी मंडरा आ सकता है।